जौनपुर-मल्हनी विधानसभा उप चुनाव में पहली बार कमल खिलाने की बीजेपी की सारी कवायद फेल हो गयी।

जहाँ निर्दल प्रत्याशी धनंजय सिंह ने 68375 वोट पाकर इतिहास रच दिया और तथा सपा और निर्दल प्रत्याशी के काटे की टक्कर में भाजपा की जमानत तक नही बची और सपा ने एक नया नेता पा लिया उधर बीएसपी की जमानत भी जब्त हो गयी।

भाजपा की करारी हार ने जहां दो बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ की जनसभा पर पानी फेर दिया वहीं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और दोनो डिप्टी सीएम का आना भी बेकार गया।
नगर विधायक व राज्यमंत्री गिरीश चंद्र यादव, भाजपा ज़िलाध्यक्ष पुष्पराज सिंह,अनिल राजभर,डॉक्टर हरेंद्र प्रसाद सिंह विधायक ज़फ़राबाद, पूर्व सांसद के.पी सिंह, रमेश मिश्रा समेत आधा दर्जन से अधिक विधायकों और मंत्रियो पर सवाल उठने लगा है जो पूरे चुनाव मल्हनी में डेरा डाले पड़े रहे और अपने प्रत्याशी की ज़मानत तक नहीं बचा पाए।इस चुनाव में स्थानीय प्रशासन पर भी गंभीर आरोप लगे की उसने सत्ता पक्ष का जमकर साथ दिया और निर्दल प्रत्याशियों के घरों पर अकारण पुलिस की दबिश दी गई और कार्यकर्ताओं को परेशान किया गया लेकिन तमाम क़वायदों के बावजूद भाजपा को बहुत से बूथों पर एजेंट तक नहीं मिले और भाजपा की ज़मानत तक ज़ब्त हो गई।
अब लोगों में यह चर्चा ज़ोरों पर है की जौनपुर के स्थानीय भाजपा नेता अपने निजी स्वार्थ के चलते पार्टी की मिट्टी पलीद किए हुए हैं और सही प्रत्याशी को पार्टी में आने का विरोध करते रहते हैं और ज़्यादातर नेता सिर्फ़ मोदी और योगी के नाम पर राजनीति कर रहे हैं जबकि हक़ीक़त में इनकी राजनीतिक ज़मीन खोखली है।चर्चा ये भी है की यदि पूर्व सांसद धनंजय सिंह पार्टी से लड़ते तो आज परिणाम कुछ और होता ।
भाजपा की इस शर्मनाक हार के बाद अब देखना है की भाजपा हाईकमान इस करारी हार पर क्या मंथन करती है और जौनपुर के स्थानीय भाजपा में क्या फेरबदल करती है ये तो आने वाला समय बतायेगा लेकिन अगर पार्टी को इसी तरह स्थानीय नेता गुमराह करते रहे तो आने वाले चुनाव में भाजपा को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।