जौनपुर : जौनपुर दीवानी न्यायालय की अधिवक्ताओं को लॉकडाउन के दौरान पुराने मामलों में चालान कर जेल भेजने से अधिवक्ता समुदाय आक्रोशित है।चार दिन पहले इसे लेकर डीएम और पुलिस अधीक्षक से भी अधिवक्ता मिले और शिकायत की। आश्वासन भी मिला लेकिन इसके बाद भी परिवार के एक मामले में भाई की पत्नी द्वारा किए गए मुकदमे में विवेचना में दुष्कर्म की धारा में अधिवक्ता संजीव नागर का नाम ला कर शुक्रवार को उनकी चालान कर दी गई। रिमांड के समय बार के अध्यक्ष, मंत्री व तमाम अधिवक्ता मौजूद थे। अधिवक्ताओं ने पुलिस की इस कार्यवाही को द्वेष पूर्ण वह दमनात्मक बताया।
5 दिन पूर्व अधिवक्ता पवन शुक्ला का 2019 के दुष्कर्म के एक मामले में जिसमें वह मुख्य आरोपी भी नहीं थे और मुकदमे की पैरवी कर रहे थे, उसी में पीड़िता ने 164 के बयान में उनका नाम ले लिया और पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया।कोर्ट ने उनकी जमानत निरस्त कर जेल भेज दिया।शुक्रवार को अधिवक्ता संजीव नागर को पुलिस ने गिरफ्तार कर पेश किया।इस मामले में घटना 27 जून 2018 की दिखाई गई है जिसमें अधिवक्ता की भाई की पत्नी ने पहले छेड़खानी का मुकदमा दर्ज कराया।बाद में विवेचना में पीड़िता का बयान लेकर धारा 376 बढ़ाते हुए अधिवक्ता संजीव को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। गुरुवार की शाम अधिवक्ता का पड़ोसी से कुछ विवाद हुआ।उसी को लेकर उन्होंने पुलिस को फोन किया।पुलिस ने विपक्षी को पकड़ने के बजाय पुराने 376 के मुकदमे में उन्हें मुल्जिम दर्शाते हुए गिरफ्तार कर लिया।शुक्रवार को उनकी चालान कोर्ट से हुई।कोर्ट ने उन्हें जेल भेज दिया।इसके पूर्व दो अन्य अधिवक्ता भी इसी लॉक डाउन में जेल भेजे जा चुके हैं।वकीलों का कहना है कि लॉक डाउन में अधिवक्ताओं को बड़ी धाराओं से प्रकाश में लाकर गिरफ्तार करना पुलिस की मनमानी व अधिवक्ताओं से द्वेष प्रकट करता है।अगर इस पर लगाम नहीं लगाई गई तो अधिवक्ता कठोर कदम उठाने को बाध्य होंगे।
जौनपुर ब्यूरो