जौनपुर- वैश्विक महामारी कोरोनावायरस से बचने के लिए मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सी क्लोरो क्वीन अमेरिका व अन्य देशों में भारत द्वारा निर्यात की गई जब यह पता चला कि कोरोना वायरस के इलाज में यह दवा कारगर है।शुरुआत में लॉक डाउन के दौरान इस दवा की बिक्री में बहुत तेजी आई।जनपद समेत संपूर्ण भारत में लोगों ने तेजी से यह दवा खरीदा।अमेरिका,रूस, ब्राजील,इजरायल,जर्मनी, फ्रांस आदि देश भारत से इस दवा की मांग किए। सूत्रों की मानें तो नेता,मंत्री और अफसरों के घर में भी यह दवा भारी मात्रा में सप्लाई हुई। यहां तक कि इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च की तरफ से यह प्रोटोकॉल है कि डॉक्टर,वार्ड ब्वॉय,नर्स व अन्य स्टाफ को यह दवा खाना अनिवार्य है अगर वे क्वॉरेंटाइन सेंटर या हॉस्पिटल में ड्यूटी कर रहे हैं जहां कोरोना से संबंधित पेशेंट आते हैं।दवा खाना इसलिए अनिवार्य है जिससे स्वास्थ्य कर्मी इस बीमारी की चपेट में न आने पाएं।जनपद में भी विभिन्न स्थानों पर क्वॉरेंटाइन सेंटर बनाए गए हैं।अस्थाई जेल भी बनाई गई है।जिला हॉस्पिटल में भी कोरोनावायरस की जांच के लिए नमूना लेकर भेजा जाता है इसलिए यहां भी स्वास्थ्य कर्मियों को एवं सभी स्टाफ को साइड इफेक्ट के बावजूद हाइड्रोक्सी क्लोरो क्वीन 400 एमजी दवा खाना अनिवार्य है और स्वास्थ्य कर्मी दवा खा भी रहा है।
हाल ही में जनपद में डॉक्टरों की हुई ट्रेनिंग में उन्हें यह दिशा निर्देश दिया गया।सूत्रों की मानें तो कुछ प्राइवेट डॉक्टर भी बचाव के तौर पर यह दवा ले रहे हैं क्योंकि उनके पास भी सर्दी जुकाम बुखार से जुड़े मरीज आते हैं जो कोरोना से पीड़ित हो सकते हैं।इस दवा का साइड इफेक्ट यह है कि दवा खाने पर दिल की धड़कन अचानक बहुत तेज या धीमी हो जाती है और सीने में जलन होती है लेकिन इसके बावजूद इसे खाना ड्यूटी पर लगे स्वास्थ्य कर्मियों के लिए अनिवार्य है। जहां तक कोरोना से पीड़ित मरीजों का प्रश्न है तो उन्हें भी यह दवा दी जा रही है इसके अलावा यदि मरीज को बुखार सांस फूलना इत्यादि समस्या है तो सिम्टम्स के आधार पर उन्हें पेरासिटामाल, एजिथ्रोमायसिन, एंटीबायोटिक्स व अन्य दवाएं दी जाती हैं।मूलतः हाइड्रोक्सी क्लोरो क्वीन दवा का प्रयोग ऑटोइम्यून रोगों जैसे मलेरिया,आर्थराइटिस आदि रोगों में होता है। आईसीएमआर ने कोरोना वायरस से बचाव के लिए इस दवा के इस्तेमाल की सलाह दिया है। इसी वजह से ड्यूटी पर लगे स्वास्थ्य कर्मियों व स्टाफ को यह दवा खानी पड़ती है।
जौनपुर ब्यूरो